कर्ण।
महाभारत का एक ऐसा पात्र जिसको लेकर काफी गलत धारणाएं बताई गई है।
कुछ ऐसे सत्य जो आपको जान लेने चाहिए।
1. महाभारत के अनुसार कर्ण गुरु द्रोण का ही शिष्य था। गुरुकुल के समय से ही वह अर्जुन से ईर्ष्या करता था।
2. रंगभूमि में उसे रोका नहीं गया था। उसने भी अपने धनुर्विद्या का प्रदर्शन वहां गुरुओं को आज्ञा के बाद किया।
3. गुरु दक्षिणा के रूप में जब द्रुपद को बंदी बनाने की बात हुई तब कर्ण द्रुपद से भी पराजित हो गया था। बाद में अर्जुन ने द्रुपद को बंदी बना कर द्रोण को प्रसन्न किया।
3. द्रौपदी स्वयंवर के समय भी जब राजाओं का अर्जुन और भीम से युद्ध हुआ तब कर्ण अर्जुन से हार गया था।
4. युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में जब भीमसेन पूर्व दिशा में विजय यात्रा पर निकले थे तब अकेले उन्होंने कर्ण को अंगदेश में पराजित किया था।
5. वन पर्व में जब गंधर्वों से कौरवों का युद्ध हुआ तब कर्ण युद्ध में पराजित हो गया था। इस युद्ध में भी अर्जुन भीम ने ही कौरवों की रक्षा की थी।
6. विराट पर्व में जब कौरवों ने मत्स्य देश पर आक्रमण किया तब कर्ण सहित सभी कौरव महारथियों को अर्जुन ने अकेले ही पराजित कर दिया था। अर्जुन के सारथी उस समय राजकुमार उत्तर थे।
7. यदि कर्ण के कवच और कुंडल नहीं मांगे जाते तब अर्जुन और कर्ण का अंतिम युद्ध अनुचित होता। और यदि अर्जुन कर्ण का वध कवच सहित करता तब ये सूर्य देव का अपमान भी होता। अतः इन्द्र का कवच मांगना उचित ही था।
8. कुरुक्षेत्र के युद्ध में कर्ण अभिमन्यु, भीम, सात्यकि जैसे योद्धाओं से पराजित हो गया था। अर्जुन की तो बात ही छोड़ दें।
कर्ण भले ही कितना बड़ा योद्धा ही क्यूं ना हो। वो अर्जुन से हमेशा हार गया। वो ईर्ष्यालु भी था तथा दुर्योधन के पक्ष में होने के करें सर्वथा वध्य था। ये कहना की अर्जुन इसीलिए जीत रहा था क्यूंकि उसके सारथी कृष्ण थे अनुचित होगा। कृष्ण सिर्फ एक कुरुक्षेत्र में अर्जुन के सारथी थे।
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ReplyDeleteplz do attach the original mahabharat quotes here along with ur writing
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